बालपन के अंधत्व का इलाज़ -बीनाई (नज़र )लौटाने वाली नै दवा और चिकित्सा प्रणाली -जीन-संपादन -चिकित्सा (जीन एडिटिंग थिरेपी )भाग -१
बालपन के अंधत्व का इलाज़ -बीनाई (नज़र )लौटाने वाली नै दवा और चिकित्सा प्रणाली -जीन-संपादन -चिकित्सा (जीन एडिटिंग थिरेपी )भाग -१
लुग्तुर्ना (Luxturna )दवा -जीन -थिरेपी (जीवन खंड चिकित्सा )के तहत उन मरीज़ों की बीनाई -वापस दिलवाने का आश्वासन देती है जिनकी नज़र चली गई है ,बचपन में ही।सुईं के ज़रिये इस दवा को रेटिना (आँख के परदे के अंदर ) के नीचे पहुंचाने पर ९० फीसद मामलों में नज़र कमोबेश लौटी है।
बीनाई (नॉर्मल विज़न ,नज़र )का एक पेचीला चक्र होता है विज़न -साइकिल होता है . इस बीनाई चक्र के सुचारु कार्यनिष्पादन के लिए एक ख़ास प्रोटीन की समुचित मात्रा में जरूरत रहती है।
आरपीई -६५ (RPE 65 )नाम से जानी जाने वाली इस प्रोटीन की कमीबेशी पाई जाती है उन मरीज़ों में जिनका बीनाई-चक्र इसी वजह से रुकावट में आ जाता है। एक अवरोधक बन के आती है इस प्रोटीन की कमी ।इसी प्रोटीन की कमी के बने रहने पर बीनाई गिरती चली जाती है ,नज़र कमज़ोर होते -होते चुक ही जाती है कालान्तर में। नतीजा होता है अंधत्व।
उल्लेखित दवा इस प्रोटीन की एक प्रकार्यात्मक कॉपी ,कारगर कॉपी (फंक्शनल कॉपी )मुहैया करवाके बीनाई चक्र से अवरोधकों को हटा देती है।
आरपीईए ६५ उतपरि-वर्तन से संबद्ध अभी तक कोई ऐसी दवा उपलब्ध नहीं रही है जो इस प्रकार पैदा रेटिनल डिस्ट्रॉफी को समाप्त कर दे। इस दवा को बनाने वाले निगम को आने वाले साल के लगते ही जनवरी के मध्य में ही मंजूरी मिलने की उम्मीद बंध चली है। इस दवा को बनाने वाले दवा निगम 'स्मार्ट थिरापेटिक्स' की इस दवा पर संपन्न कामयाब आज़माइशों को ध्वनि मत से खाद्य एवं दवा संस्था से मंजूरी के प्रारम्भिक संकेत हाल ही में बीते अक्टूबर मॉस में मिलें हैं।
समझा जाता है इस अति बिरले रोग 'रेटिनल डिस्ट्रॉफी' के दुनिया भर में सिर्फ ६००० मरीज़ होने का अनुमान है जिनमें से अमरीका में इनमें से कुल १००० -३०००० तक मरीज़ हो सकते हैं। ज़ाहिर है दवा का लक्षित टारगेट वर्ग बहुत छोटा है लेकिन कहा गया है -आँख है तो जहां है -एक बीनाई लाख नियामत। जिनके पास बीनाई नहीं है उनसे पूछिए नज़र की कीमत क्या होती है ?
अनुमान है सारे आकलनों के बाद एक मरीज़ पर दस लाख डालर खर्चा आ सकता है। लेकिन दवा निगम आश्वस्त भी करता है ,दवा की कीमत घटाई भी जा सकती है।
भले अमरीकी समाज एक उपभोक्ता समाज है लेकिन उदार मना भी कम नहीं है औघड़ दानी भी यहां कई हैं ,कम्पनी के शेयर्स धड़ाधड़ बिक भी सकते हैं कीमत कम भी हो सकती है प्रति मरीज़ दवा की।
कीमत से ही कीमत है। जीन चिकित्सा में कई विकल्प रहते हैं खराब जीन (जीवन -इकाई )की दुरुस्ती से लेकर नै जीन का प्रत्यारोपण तक ,जीन सम्पादन भी इसी के आसपास की आनुवंशिक प्रौद्योगिकी है।
(शेष अगले अंक में ...)
संदर्भ -सामिग्री :
(१ )Reference:
लुग्तुर्ना (Luxturna )दवा -जीन -थिरेपी (जीवन खंड चिकित्सा )के तहत उन मरीज़ों की बीनाई -वापस दिलवाने का आश्वासन देती है जिनकी नज़र चली गई है ,बचपन में ही।सुईं के ज़रिये इस दवा को रेटिना (आँख के परदे के अंदर ) के नीचे पहुंचाने पर ९० फीसद मामलों में नज़र कमोबेश लौटी है।
बीनाई (नॉर्मल विज़न ,नज़र )का एक पेचीला चक्र होता है विज़न -साइकिल होता है . इस बीनाई चक्र के सुचारु कार्यनिष्पादन के लिए एक ख़ास प्रोटीन की समुचित मात्रा में जरूरत रहती है।
आरपीई -६५ (RPE 65 )नाम से जानी जाने वाली इस प्रोटीन की कमीबेशी पाई जाती है उन मरीज़ों में जिनका बीनाई-चक्र इसी वजह से रुकावट में आ जाता है। एक अवरोधक बन के आती है इस प्रोटीन की कमी ।इसी प्रोटीन की कमी के बने रहने पर बीनाई गिरती चली जाती है ,नज़र कमज़ोर होते -होते चुक ही जाती है कालान्तर में। नतीजा होता है अंधत्व।
उल्लेखित दवा इस प्रोटीन की एक प्रकार्यात्मक कॉपी ,कारगर कॉपी (फंक्शनल कॉपी )मुहैया करवाके बीनाई चक्र से अवरोधकों को हटा देती है।
आरपीईए ६५ उतपरि-वर्तन से संबद्ध अभी तक कोई ऐसी दवा उपलब्ध नहीं रही है जो इस प्रकार पैदा रेटिनल डिस्ट्रॉफी को समाप्त कर दे। इस दवा को बनाने वाले निगम को आने वाले साल के लगते ही जनवरी के मध्य में ही मंजूरी मिलने की उम्मीद बंध चली है। इस दवा को बनाने वाले दवा निगम 'स्मार्ट थिरापेटिक्स' की इस दवा पर संपन्न कामयाब आज़माइशों को ध्वनि मत से खाद्य एवं दवा संस्था से मंजूरी के प्रारम्भिक संकेत हाल ही में बीते अक्टूबर मॉस में मिलें हैं।
समझा जाता है इस अति बिरले रोग 'रेटिनल डिस्ट्रॉफी' के दुनिया भर में सिर्फ ६००० मरीज़ होने का अनुमान है जिनमें से अमरीका में इनमें से कुल १००० -३०००० तक मरीज़ हो सकते हैं। ज़ाहिर है दवा का लक्षित टारगेट वर्ग बहुत छोटा है लेकिन कहा गया है -आँख है तो जहां है -एक बीनाई लाख नियामत। जिनके पास बीनाई नहीं है उनसे पूछिए नज़र की कीमत क्या होती है ?
अनुमान है सारे आकलनों के बाद एक मरीज़ पर दस लाख डालर खर्चा आ सकता है। लेकिन दवा निगम आश्वस्त भी करता है ,दवा की कीमत घटाई भी जा सकती है।
भले अमरीकी समाज एक उपभोक्ता समाज है लेकिन उदार मना भी कम नहीं है औघड़ दानी भी यहां कई हैं ,कम्पनी के शेयर्स धड़ाधड़ बिक भी सकते हैं कीमत कम भी हो सकती है प्रति मरीज़ दवा की।
कीमत से ही कीमत है। जीन चिकित्सा में कई विकल्प रहते हैं खराब जीन (जीवन -इकाई )की दुरुस्ती से लेकर नै जीन का प्रत्यारोपण तक ,जीन सम्पादन भी इसी के आसपास की आनुवंशिक प्रौद्योगिकी है।
(शेष अगले अंक में ...)
संदर्भ -सामिग्री :
(१ )Reference:
(1)https://www.fool.com/investing/2017/11/08/gene-editing-can-restore-vision-but-will-it-break.aspx
(२ )http://www.newsweek.com/2017/10/27/gene-therapy-how-new-cure-blindness-reverses-retinal-dystrophy-683335.html
NEWSWEEK U.S EDITION THUS ,NOV 30,2017
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